दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
माँ अपने बेटे से कहती है :-
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
क्या पता वाकई मैं मर जाऊं
साहिल के समंदर दरिया मौज,
तू ही हमसफर, तू ही रास्ता, तू ही मेरी मंजिल है,
फिर किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
किसी और से इश्क़ दुबारा नहीं होगा
अगर जीवन मे कुछ नहीं हो रहा है यानि सफ़लता नहीं मिल रही है त
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
लपवून गुलाब देणारा व्यक्ती आता सगळ्यांसमोर आपल्या साठी गजरा
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल