2627.पूर्णिका
2627.पूर्णिका
🌷 मुकरना था जिसे मुकर गए 🌷
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मुकरना था जिसे मुकर गए ।
सुधरना था जिसे सुधर गए ।।
जिंदगी का मजा न ले सके।
अखरना था जिसे अखर गए ।।
है दुखी होशियार जो बने।
सरकना था जिसे सरक गए।।
बेरहम बन कठोर पत्थर दिल।
मसलना था जिसे मसल गए।।
आज खेदू न देख चेहरा।
मचलना था जिसे मचल गए ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-10-2023शुक्रवार