काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
गले से लगा ले मुझे प्यार से
वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
ये वादियों में महकती धुंध, जब साँसों को सहलाती है।
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई