समझाए काल
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
हुआ है इश्क जब से मैं दिवानी हो गई हूँ
फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं?
भारत की धरती से देखो इक परचम लहराया है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
आपकी ज़िंदगी यदि लोगों की बातें सुनकर, बुरा मानते हुए गुज़र
मैंने चुना है केसरिया रंग मेरे तिरंगे का
ग़ज़ल _ मुहब्बत में बहके , क़दम उठते उठते ,
"वह मृदुल स्वप्न"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
*चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)*
यह तो होता है दौर जिंदगी का