फिर से अजनबी बना गए जो तुम
खुशी(👇)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
**कहीं कोई कली खिलती बहारों की**
*पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्य
कश्मीरी पण्डितों की रक्षा में कुर्बान हुए गुरु तेगबहादुर
ग़ज़ल _ मंज़िलों की हर ख़बर हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
राह मुझको दिखाना, गर गलत कदम हो मेरा
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
कुछ राज़ बताए थे अपनों को