जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
నేటి ప్రపంచం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
पतंग को हवा की दिशा में उड़ाओगे तो बहुत दूर तक जाएगी नहीं तो
ना जाने किस मोड़ पे भाग्य किसी का बदल जाए!
"मुश्किलों के प्रभाव में जी रहे हैं ll
चंद्र मौली भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
میں ہوں تخلیق اپنے ہی رب کی ۔۔۔۔۔۔۔۔۔
हशरत नहीं है कि, तुम हमें चाहों।
जिंदगी हमेशा एक सी नहीं होती......