लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
సమాచార వికాస సమితి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
#एकताको_अंकगणित
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
मैं हूँ ना, हताश तू होना नहीं
नगीने कीमती भी आंसुओं जैसे बिखर जाते ,
Watch who is there for you even when the birds have gone sil
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
मैं मेरी कहानी और मेरी स्टेटस सब नहीं समझ पाते और जो समझ पात
वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता...
लक्ष्य या मन, एक के पीछे भागना है।
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे