हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
यदि आप किसी काम को वक्त देंगे तो वह काम एक दिन आपका वक्त नही
तुमसे ही दिन मेरा तुम्ही से होती रात है,
*भव-पालक की प्यारी गैय्या कलियुग में लाचार*
इस क़दर उलझे हुए हैं अपनी नई ज़िंदगी से,
दोस्तों की महफिल में वो इस कदर खो गए ,
प्रभु गुण कहे न जाएं तुम्हारे। भजन
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
*इस कदर छाये जहन मे नींद आती ही नहीं*