*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
गुज़रे वक़्त ने छीन लिया था सब कुछ,
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
इस प्रथ्वी पर जितना अधिकार मनुष्य का है
मुट्ठी में आकाश ले, चल सूरज की ओर।
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
जिंदगी बंद दरवाजा की तरह है
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*गठरी धन की फेंक मुसाफिर, चलने की तैयारी है 【हिंदी गजल/गीतिक
*बाल गीत (मेरा प्यारा मीत )*
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक