सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
*अच्छा जिसका स्वास्थ्य है, अच्छा उसका हाल (कुंडलिया)*
रिश्ता और ज़िद्द दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है, इसलिए ज
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
Job can change your vegetables.
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
इंसानों के अंदर हर पल प्रतिस्पर्धा,स्वार्थ,लालच,वासना,धन,लोभ
********* प्रेम मुक्तक *********
बस इतना ही फर्क रहा लड़के और लड़कियों में, कि लड़कों ने अपनी
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'