विधा:"चन्द्रकान्ता वर्णवृत्त" मापनी:212-212-2 22-112-122
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
खरीद लूंगा तुझे तेरे नखरों सहित ऐ जिन्दगी
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
उम्र ढली तो ही जाना, महत्व जोबन का।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
यह रात का अंधेरा भी, हर एक के जीवन में अलग-अलग महत्व रखता ह
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
ना जाने कौन सी बस्ती ,जहाँ उड़कर मैं आयी हूँ ,
You are the sanctuary of my soul.
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आज़ तेरा है कल मेरा हो जायेगा