26 जनवरी व 15 अगस्त के मन के उदगार –आर के रस्तोगी
रुठे न कभी किसी से हम,फिर भी देशवासी मनाते है
तुझ को 26 जनवरी,मुझ को 15 अगस्त को मनाते है
दोनों का है जन्म दिवस,फिर भी केक नहीं कटवाते है
बस थोडा सा मिष्ठान बाँट कर,हम को यूही बहकाते है
भले ही देश स्वतंत्र हुआ है,भले ही वह गणतंत्र बन जाये
हम में कोई बदलाव नहीं है,चाहे सारा संसार बदल जाये
कैसा है ये आज़ाद देश,जब तक भ्रष्टाचार से आज़ाद न हो
गणतंत्र मनाना बेकार है तब तक मूल सुविधाये आबाद ने हो
राष्ट ध्वज छोड़कर अब नेता राजनीति का झंडा फहराते है
कभी विकास न होगा तब तक एक झंडे के नीचे न आते है
ये हमारे मन के उदगार है,राष्ट ध्वज फहराने से क्या होगा
जब तक सब राष्ट समर्पित न हो 26 जनवरी से क्या होगा
आर के रस्तोगी