2599.पूर्णिका
2599.पूर्णिका
🌷राह देखते रह गए 🌷
2121 2212
राह देखते रह गए ।
हाथ सेंकते रह गए ।।
काम भूलते नाम लिख ।
बात फेंकते रह गए ।।
साथ साथ रहते कहाँ ।
माथ टेकते रह गए ।।
दाम क्या न जाने यहाँ ।
लोग बेचते रह गए ।।
दौर अजब खेदू कहे।
धान कूटते रह गए ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-10-2023बुधवार