बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
आशा ही निराशा की जननी है। - रविकेश झा
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*रामदेव जी धन्य तुम (नौ दोहे)*
रात बीती चांदनी भी अब विदाई ले रही है।
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अखबार नहीं ।
मानव हो मानवता धरो
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
कोशिशों पर यक़ी करो अपनी ,
100 से अधिक हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं की पते:-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चलते चलते थक गया, मन का एक फकीर।
"सुविधाओं के अभाव में रह जाते हैं ll
किसी के मर जाने पर उतना नहीं रोया करता