कुदरत और भाग्य......एक सच
वो इश्क़ अपना छुपा रहा था
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर #विशेष_कविता:-
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
वो जो मुझको रुलाए बैठा है
*शादी की जो आयु थी, अब पढ़ने की आयु (कुंडलिया)*
किसान मजदूर होते जा रहे हैं।
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
तुलनात्मक अध्ययन एक अपराध-बोध
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔غزل۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
स्त्री न देवी है, न दासी है
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)