गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
*दिल के रोग की दवा क्या है*
"Every person in the world is a thief, the only difference i
मुझे इस बात पर कोई शर्म नहीं कि मेरे पास कोई सम्मान नहीं।
हम इतने भी मशहूर नहीं अपने ही शहर में,
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
*समय की रेत ने पद-चिन्ह, कब किसके टिकाए हैं (हिंदी गजल)*
रमेशराज के पर्यावरण-सुरक्षा सम्बन्धी बालगीत
तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।