*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
धागे प्रेम के बहन मन भावों से लाई......
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
बटन ऐसा दबाना कि आने वाली पीढ़ी 5 किलो की लाइन में लगने के ब
चराचर के स्वामी मेरे राम हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
यादों के अभिलेख हैं , आँखों के दीवान ।
मॉर्निंग वॉक
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
Not a Choice, But a Struggle
अपने आंसुओं से इन रास्ते को सींचा था,