ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
छंद मुक्त कविता : जी करता है
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सर्द रातें
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
"हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
कोरोना काल मौत का द्वार
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
" भींगता बस मैं रहा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*गरीबों की ही शादी सिर्फ, सामूहिक कराते हैं (हिंदी गजल)*
जरूरत और जरूरी में फर्क है,
शिक्षा होने से खुद को स्वतंत्र और पैसा होने से खुद को
भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा बदे सरकार से अपील
ज़िन्दगी के सफर में राहों का मिलना निरंतर,
నమో నమో నారసింహ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बादलों पर घर बनाया है किसी ने...