बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
*सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)*
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
अब तो चरागों को भी मेरी फ़िक्र रहती है,
जिंदगी प्यार से लबरेज़ होती है।
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
कुछ तुम रो लेना कुछ हम रो लेंगे।
नाराज़गी भी हमने अपनो से जतायी
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
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