सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
*सबसे सुंदर जग में अपना, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी एक विशेष कला है,जो आपक
हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो
गलत विचार और गलत काम पर कितने भी दिग्गज लोग काम करें असफल ही
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या