*चार दिन को ही मिली है, यह गली यह घर शहर (वैराग्य गीत)*
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
ज़िन्दगी मत रुला हम चले जाएंगे
एक शख्स एक दुनिया हो सकता है
*बदले नहीं है आज भी लड़के*
*प्रकृति के हम हैं मित्र*
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू
दिल का बुरा नहीं हूँ मैं...
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता