इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
तुझे कसम है मोहब्बत की लौटकर आजा ।
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
मोहब्बत के बारे में तू कोई, अंदाजा मत लगा,
फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस...
दीप जगमगा रहे थे दिवाली के
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
करे कोशिश अगर इंसान तो क्या-क्या नहीं मिलता
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
मेघाें को भी प्रतीक्षा रहती है सावन की।
कुछ अच्छे गुण लोगों को महान बनाते हैं,