शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
*करतीं धुनुची नृत्य हैं, मॉं की भक्त अपार (कुंडलिया)*
मोहब्बत की राहों मे चलना सिखाये कोई।
आकाश के सितारों के साथ हैं
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
पैसा ,शिक्षा और नौकरी जो देना है दो ,
यह जो आँखों में दिख रहा है
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
आओ इस दशहरा हम अपनी लोभ,मोह, क्रोध,अहंकार,घमंड,बुराई पर विजय
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार