औरतें, क्यूं दलील देती हैं
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
कभी कभी इंसान बहुत खुशी दिखाता है
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
मोहब्बत के बारे में तू कोई, अंदाजा मत लगा,