"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
आंसूओं की नमी का क्या करते
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
मनुष्य जीवन - एक अनसुलझा यक्ष प्रश्न
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
“दुमका संस्मरण 3” ट्रांसपोर्ट सेवा (1965)
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
गुजर रही थी उसके होठों से मुस्कुराहटें,