जिस दिन आप कैसी मृत्यु हो तय कर लेते है उसी दिन आपका जीवन और
कभी पास तो कभी दूर जाता है
परिमल पंचपदी- नयी विधा
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत का खौफ।
Is it actually necessary to poke fingers in my eyes,
-: ना ही चहिए हमें,प्रेम के पालने :-
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
- तुम ही मेरे जीने की वजह -
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!!