देश के दुश्मन सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं साहब,
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
"दिलों को आजमाता है"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
फीका त्योहार !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर