हर किसी को कहा मोहब्बत के गम नसीब होते हैं।
मुझे हर वक्त बस तुम्हारी ही चाहत रहती है,
......देवत्थनी एकदशी.....
*पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्य
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
अब छोड़ जगत आडंबर को।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्या ये किसी कलंक से कम है
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
तुम्हारे प्यार के खातिर सितम हर इक सहेंगे हम।
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
गुरु ही साक्षात ईश्वर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि