दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.!
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
Teri yaadon mein aksar khoya rahtaa hu
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत