Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2023 · 1 min read

2576.पूर्णिका

2576.पूर्णिका
हाथों की लकीरों की औकात क्या है
22 2122 22 2122
हाथों की लकीरों की औकात क्या है ।
अपनी मेहनत की भी सौगात क्या है ।।
बाजी हार जाते जीते जंग में हम ।देखो जिंदगी की ये हालात क्या है ।।
चाहत में बदलने वाले बदल जाते।
नादानी जज्बातों में सच बात क्या है ।।
अपनी हो मुठ्ठी में बस सारा जमाना ।
यूं रंगीन दिन में काली रात क्या है ।।
कर ले प्यार खेदू चूमे पांव मंजिल ।
मिलती ठोकरें खाते आघात क्या है ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
8-10-2123रविवार

277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बुरे वक्त में भी जो
बुरे वक्त में भी जो
Ranjeet kumar patre
"घर घर की कहानी"
Yogendra Chaturwedi
योग दिवस
योग दिवस
Rambali Mishra
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
Kanchan Alok Malu
प्रेमरस
प्रेमरस
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग बदलना चाहते हैं,
Sonam Puneet Dubey
चंद पल खुशी के
चंद पल खुशी के
Shyam Sundar Subramanian
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" कम्फर्ट जोन "
Dr. Kishan tandon kranti
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
यह मत
यह मत
Santosh Shrivastava
"बेढ़ब मित्रता "
DrLakshman Jha Parimal
ग्रीष्म
ग्रीष्म
Kumud Srivastava
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
Shashi kala vyas
परिणाम जो भी हो हमें खुश होना चाहिए, हमें जागरूक के साथ कर्म
परिणाम जो भी हो हमें खुश होना चाहिए, हमें जागरूक के साथ कर्म
Ravikesh Jha
वो
वो
Sanjay ' शून्य'
चीर हरण!
चीर हरण!
Jai krishan Uniyal
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
"सबकी नज़रों में एकदम कंगाल हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
मंद बुद्धि
मंद बुद्धि
Shashi Mahajan
पल- पल बदले जिंदगी,
पल- पल बदले जिंदगी,
sushil sarna
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सीता छंद आधृत मुक्तक
सीता छंद आधृत मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
‘मंज़र’ इश्क़ में शहीद है
‘मंज़र’ इश्क़ में शहीद है
Shreedhar
हम इतने भी मशहूर नहीं अपने ही शहर में,
हम इतने भी मशहूर नहीं अपने ही शहर में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
2861.*पूर्णिका*
2861.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अवकाशार्थ आवेदन पत्र
अवकाशार्थ आवेदन पत्र
Otho Pat
स्पर्श
स्पर्श
sheema anmol
तुम ही तो हो
तुम ही तो हो
Ashish Kumar
घर छोड़ गये तुम
घर छोड़ गये तुम
Rekha Drolia
Loading...