"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
धधक रही हृदय में ज्वाला --
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत क
लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
రామయ్య మా రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा
आज फिर हाथों में गुलाल रह गया
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
ग़ौर से ख़ुद को देख लो तुम भी ।
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सत्य होता सामने
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }