2555.पूर्णिका
2555.पूर्णिका
🌹क्या नहीं नाचीज ढूंढ़ता है🌹
212 2212 122
क्या नहीं नाचीज ढूंढ़ता है।
आज वो ताबीज ढूंढ़ता है ।।
जिंदगी बदले यहाँ कहानी ।
कीमती कुछ चीज ढूंढ़ता है ।।
हसरतें पाले बहुत कमाने ।
रोज ही रक्त बीज ढूंढ़ता है ।।
बरसते सावन कभी जहाँ से ।
दूज का कम तीज ढूंढ़ता है ।।
प्यार का खेदू कहाँ जमाना ।
अब फटे न कमीज ढूंढ़ता है ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-6-2023शुक्रवार