2552.*पूर्णिका**कामयाबी का स्वाद चखो*
2552.*पूर्णिका**कामयाबी का स्वाद चखो*
2122 22 22
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**कामयाबी का स्वाद चखो ।
नेकनीयत आबाद रखो।।*
लोग अपने साथ यहाँ ।
सोच अपने आजाद रखो ।।
गीत मंजिल गाती हरदम ।
मेहनत यूं नौशाद रखो।।
आज इंसानियत जहाँ भी ।
रोज जिंदा जिहाद रखो।।
बस खुशी हम बांटे खेदू ।
गम मिटे सब इरशाद रखो ।।
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डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
4-10-2023बुधवार