2549.पूर्णिका
2549.पूर्णिका
🌷 निकली गधे की बरात देखो 🌷
2212 212 122
निकली गधे की बरात देखो।
शतरंज की बिछी बिसात देखो।।
आया नहीं दांव ये कभी भी ।
इंसान साकी जमात देखो ।।
अपना जिसे जिंदगी समझते ।
उनकी यहाँ अलग बात देखो।।
संसार है मतलबी कहे क्या।
बंटे कई आज जात देखो।।
प्यासा रहे प्यास में न खेदू।
अब बदलते यूँ जकात देखो।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-10-2023मंगलवार