2547.पूर्णिका
2547.पूर्णिका
🌷कुछ बात समझ नहीं आती 🌷
22 2212 22
कुछ बात समझ नहीं आती ।
सौगात समझ नहीं आती ।।
उलझे रहते यहाँ खुद में ।
औकात समझ नहीं आती ।।
साथ यहाँ है कहाँ दुनिया ।
नव रात समझ नहीं आती ।।
कर जाते भूल से गलती ।
हालात समझ नहीं आती।।
चाहत खेदू खुशी देती ।
बा-रात समझ नहीं आती ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-10-2023मंगलवार