2546.पूर्णिका
2546.पूर्णिका
🌷चेहरा ढंके नकाब से 🌷
212 22 1212
चेहरा ढंके नकाब से।
जिंदगी महके गुलाब से।।
प्यार करते प्यार है यहाँ ।
राह पे चलते हिसाब से ।।
बदल जाते है नसीब भी ।
सीख जो लेते किताब से।।
जन्नत क्या देखे जहन्नुम क्या।
ये जहां मोहित शबाब से।।
मंजिलें खेदू कहाँ नहीं ।
आज हम रहते रुआब से।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
3-10-2023मंगलवार