तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
शिवाजी गुरु स्वामी समर्थ रामदास – भाग-01
धन से जो सम्पन्न उन्हें ,
एक ख़त रूठी मोहब्बत के नाम
अजहर अली (An Explorer of Life)
*** सफलता की चाह में......! ***
Starting it is not the problem, finishing it is the real thi
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
लिखे क्या हुजूर, तारीफ में हम
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
जीवन की विषम परिस्थितियों