शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
महफिलों में अब वो बात नहीं
दाढ़ी में तेरे तिनका है, ओ पहरे करने वाले,
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सोच हमारी अपनी होती हैं।
As I grow up I realized that life will test you so many time
रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है - ये सिर्फ किस्से हैं
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,