2515.पूर्णिका
2515.पूर्णिका
🌹सोच रखते तरक्की के लिए 🌹2122 22 212
सोच रखते तरक्की के लिए ।
भटकते हैं तरक्की के लिए ।।
सच खुशी ही आधार है ।
राह आसां तरक्की के लिए ।।
किस्मत के भी दरवाज़ा खुले ।
मेहनत कर तरक्की के लिए ।।
भीख ना मिलते जो मांगते।
कौन समझे तरक्की के लिए ।।
जग भलाई में खेदू लगे ।
नेक कदमें तरक्की के लिए ।।
……✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
29-9-2023शुक्रवार