25)”हिन्दी भाषा”
हिंदी भाषा की चुनौती को स्वीकारना है,
साहित्य प्रेम को लिखते हुए संवारना है।
दक्ष वं अदक्ष का भेदभाव नहीं
ईमानदारी से आगे बढ़ जाना है।
भाषा के प्रति प्रेम वं सम्मान है
निर्दिष्ट लक्ष्य कल्याण है।
खुद को हिंदी में समा कर देखो,
हिंदी के ज्ञान को पहचान कर,
अदभुत शक्ति को जगा कर देखो।
होना है सफल जीवन में ग़र
भय को हरा कर देखो।
वजूद को पहचानो-
खुद को आज़मा कर देखो।
पथरों से टकरा कर,मंज़िल पाओगे कभी,
अदभुत शक्ति को जगा कर तो देखो।
हिंदी की उड़ान में इरादों को द्दृढ़ बना कर देखो,
सक्षम होंगे हर दिन, हिंदी भाषा संग,
अदभुत शक्ति जगा कर,कदम बड़ा कर देखो।
तो सार यह….
संप्रेषण कौशल की उद्वम हिंदी,
सर्वांगसुंदर राष्ट्रभाषा हिंदी,
राष्ट्र को प्यारी हिंदी,
विकसित हो रही हमारी हिंदी,
साहित्य को बढ़ा रही हिंदी।
लाभान्वित होता इंसान ग़र हिंदी अभिमान,
१४ सितम्बर का दिवस ही नहीं,
हर दिन का अरमान, हिंदी हो हम सब की पहचान।
देश विदेश में भी हो हिन्दी भाषा का सम्मान।।
✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा।