2491.पूर्णिका
2491.पूर्णिका
आगे बढ़ना है तो रास्ता बनाना पड़ता है
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आगे बढ़ना है तो रास्ता बनाना पड़ता है ।
दिल का दर्द कोई ना जाने छुपाना पड़ता है ।।
फूटे टूटे कहना क्या अजब दौर यहाँ देखो।
ना बिखरे ये सुंदर दुनिया सजाना पड़ता है ।।
कहते हैं सबके सब तो पाँव चूमे मंजिल भी ।
दिन रात यहाँ खून पसीना बहाना पड़ता है ।।
हो जाता है दरिया भी पार हम साथी साहिल ।
अकल यहाँ खुद का यूँ हरदम लगाना पड़ता है ।।
होकर खुश चांद सितारे झिलमिलाते मस्त खेदू।
मानवता का बस रोज किस्सा सुनाना पड़ता है ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-9-2023रविवार