2485.पूर्णिका
2485.पूर्णिका
🌹बात बनती बिगड़ती है🌹
2122 2122
बात बनती बिगड़ती है ।
रोज दुनिया झगड़ती है ।।
सीख ले जीना यहाँ तू ।
जिंदगी भी रगड़ती है ।।
ये तमाशा मौज करती।
शांत रहती कड़कती है ।।
गीत गाते हम तराना ।
आग कैसे भड़कती है ।।
प्यार कर ले आज खेदू।
देख धड़कन धड़कती है ।।
……✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-9-2023बुधवार