2458.पूर्णिका
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2458.पूर्णिका
🌷सब कुछ अर्पण कर जाते🌷
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सब कुछ अर्पण कर जाते ।
ताज समर्पण कर जाते ।।
ना छिपते सच्ची बातें ।
देखो दर्पण कर जाते ।।
सुंदर राह मंजिल की ।
आलस तर्पण कर जाते ।।
उगले जहर ये दुनिया।
डस के सर्पण कर जाते ।।
रखते कदम हम खेदू ।
माल्यार्पण कर जाते ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
2-9-2023शनिवार