Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2023 · 1 min read

2458.पूर्णिका

2458.पूर्णिका
🌷सब कुछ अर्पण कर जाते🌷
22 212 22
सब कुछ अर्पण कर जाते ।
ताज समर्पण कर जाते ।।
ना छिपते सच्ची बातें ।
देखो दर्पण कर जाते ।।
सुंदर राह मंजिल की ।
आलस तर्पण कर जाते ।।
उगले जहर ये दुनिया।
डस के सर्पण कर जाते ।।
रखते कदम हम खेदू ।
माल्यार्पण कर जाते ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
2-9-2023शनिवार

292 Views

You may also like these posts

डॉ अरूण कुमार शास्त्री,
डॉ अरूण कुमार शास्त्री,
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#विषय:- पुरूषोत्तम राम
#विषय:- पुरूषोत्तम राम
Pratibha Pandey
दहेज बना अभिशाप
दहेज बना अभिशाप
C S Santoshi
"पतझड़"
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान को इंसान ही रहने दो
इंसान को इंसान ही रहने दो
Suryakant Dwivedi
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
ನೀನೆಷ್ಟರ ಗಂಡಸು???
ನೀನೆಷ್ಟರ ಗಂಡಸು???
ಗೀಚಕಿ
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विश्व राज की कामना
विश्व राज की कामना
संतोष बरमैया जय
संवेदनाएँ
संवेदनाएँ
Saraswati Bajpai
कोरोना का संकट मित्रों, कब तक हमें डरायेगा।
कोरोना का संकट मित्रों, कब तक हमें डरायेगा।
श्रीकृष्ण शुक्ल
* आत्म संतुष्टि *
* आत्म संतुष्टि *
Vaishaligoel
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय*
डिजिटल भारत
डिजिटल भारत
Satish Srijan
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
डायरी
डायरी
Rambali Mishra
2859.*पूर्णिका*
2859.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
********* कुछ पता नहीं *******
********* कुछ पता नहीं *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
श्रृष्टि का आधार!
श्रृष्टि का आधार!
कविता झा ‘गीत’
मुझे फर्क पड़ता है।
मुझे फर्क पड़ता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कृष्ण मारे तो बचाए कौन? कृष्ण बचाए तो मारे कौन?
कृष्ण मारे तो बचाए कौन? कृष्ण बचाए तो मारे कौन?
Ujjwal kumar
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
gurudeenverma198
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गुरु कुल में (गोपी )
गुरु कुल में (गोपी )
guru saxena
मैं लिखता हूं..✍️
मैं लिखता हूं..✍️
Shubham Pandey (S P)
खूब  उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जल कुंभी सा बढ़ रहा,
जल कुंभी सा बढ़ रहा,
sushil sarna
*आचार्य बृहस्पति और उनका काव्य*
*आचार्य बृहस्पति और उनका काव्य*
Ravi Prakash
Loading...