कभी बेवजह तुझे कभी बेवजह मुझे
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
*भाता है सब को सदा ,पर्वत का हिमपात (कुंडलिया)*
तपन ने सबको छुआ है / गर्मी का नवगीत
अब बस बहुत हुआ हमारा इम्तिहान
मैं तो महज इत्तिफ़ाक़ हूँ
23/184.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
सियासत नहीं रही अब शरीफों का काम ।
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
सातो जनम के काम सात दिन के नाम हैं।
"मिट्टी के आदमी "
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
You do NOT need to take big risks to be successful.
जीवन संग्राम के पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर