बड़े लोगों का रहता, रिश्वतों से मेल का जीवन (मुक्तक)
माँ दुर्गा मुझे अपना सहारा दो
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
लोग कहते हैं मैं कड़वी जबान रखता हूँ
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
23/97.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*