अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
काकी से काका कहे, करके थोड़ा रोष ।
Tum toote ho itne aik rishte ke toot jaane par
वक्त जब उचित न हो तो , वक्त के अनुरूप चलना ही उचित होता है,
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
__________सुविचार_____________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
हम उनको सवारते संवारते खुद ही बिखर गए।
तमाम उम्र अंधेरों ने मुझे अपनी जद में रखा,
23/51.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
20. The Future Poetry
Santosh Khanna (world record holder)