कदाचित् वहम यह ना पालो...
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
कभी खामोश रहता है, कभी आवाज बनता है,
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
तमीज़ और तहज़ीब यूं विरासत में मिले हैं मुझे,
स्वतंत्रता सेनानी नीरा आर्य
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
आचार्य पंडित राम चन्द्र शुक्ल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की