गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
यदि समुद्र का पानी खारा न होता।
बुंदेली दोहा- छला (अंगूठी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
सुकून मिलता है तेरे पास होने से,
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
एक शख्स एक दुनिया हो सकता है
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*