*जाऍं यात्रा में कभी, रखें न्यूनतम पास (कुंडलिया)*
शेर : तुझे कुछ याद भी है क्या मिरा उस रात में आना
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
दुनिया के चकाचौंध में मत पड़ो
पूरी उम्र बस एक कीमत है !
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
बेईमान बाला
singh kunwar sarvendra vikram
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।