सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
■ पसंद अपनी-अपनी, शौक़ अपने-अपने। 😊😊
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*श्वास-गति निष्काम होती है (मुक्तक)*
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
गुस्सा क़ाबू जो कर नहीं पाये,
बोलो क्या कहना है बोलो !!
23/51.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
आदमी की संवेदना कहीं खो गई