झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*डॉक्टर किशोरी लाल: एक मुलाकात*
माँ को अर्पित कुछ दोहे. . . .
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
वो मुझे पास लाना नही चाहता
ये बहाव भी जरूरी है,ये ठहराव भी जरूरी है,जरूरी नहीं ये धूप ह
वो एक एहसास
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मेरी झोली मै कुछ अल्फ़ाज़ अपनी दुआओं के डाल दे ...
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में जितना बदलाव हमा
पीर मिथ्या नहीं सत्य है यह कथा,
अत्यधिक खुशी और अत्यधिक गम दोनो अवस्थाएं इंसान के नींद को भं
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी