244. “प्यारी बातें”
हिन्दी काव्य-रचना संख्या: 244.
शीर्षक: “प्यारी बातें”
(रविवार, 16 दिसंबर 2007)
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कुछ अपनी सुनाओ
प्यारी बातें ।
कैसे हैं दिन कैसी रातें।।
क्या तुम्हें भी आती है नीदें
या
मेरी तरह कटती हैं रातें।।
मेरे दिन हैं अकेले
रातें तन्हा
तन्हाई मुझको डसती है।
ये रातें काली
बनकर अंधियारी
अपनी बाहों में कसती हैं।।
तुम आ जाओ मेरी रातों में
कुछ ख़्वाब सुहाने सँग लेकर।
वो अलबेली- सी रूत लेकर
वो मस्ताना मौसम लेकर ।।
फिर रात सुहानी हो जाएगी
काली छाया ना सताएगी।
ये
साएं- साएं चलती हवा
तुम संग गीत गाएगी।।
ये प्यारी बातें
ढेर सारी बातें।
तुम्हारी बातें
मनोहारी बातें।।
इन बातों में ही
बस जाने दो मुझे।
बस दो पल के लिए
सो जाने दो मुझे।।
ये प्यारी बातें
तुम्हारी बातें……..
-सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा)-126102.