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2 Feb 2024 · 1 min read

24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*

24/237. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 अंतस के भाव समझ लेथे🌷
22 22 22 22
अंतस के भाव समझ लेथे।
काबर अलगाव समझ लेथे।।
हरहिंछा जीयत खावत रा।
दुनिया परभाव समझ लेथे।।
बांध इहां गठरी सुनता ले।
कोन अपन संग समझ लेथे।।
जोहत जौन रथे रोज रद्दा ।
मन बोली सुघ्घर समझ लेथे।।
बांटत रोज मया ला खेदू।
जग कतिक लगाव समझ लेथे।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-02-2024शुक्रवार

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