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29 Nov 2018 · 1 min read

24 रागनी किस्सा ब्रह्मज्ञान मनजीत पहासौरिया

वेद पढ़ा ना लेख लिखा, ये दोष धरण लागे,
बिना ज्ञान ये नर, इतना क्यू अभिमान करण लागे..!!टेक!!

मन मै कपट रहै भटक, राम बणा चावै सै,
शबरी के फल और बांदर दल, के सबनै पावै सै,
गांगा मै गोते लावै सै, करे पाप तै डरण लागे..!!१!!

मिठा बोल, मत कालजा छोल, करकै देख समाई,
छोड़कै तककार, कर प्यार, मुफ्त मिलै अच्छाई,
बात जिसकै समझ आई, वे भवसागर तरण लागे..!!२!!

पांच दुती, घणी अनपुती, तेरे पै हुक्म चलावै सै
भीतर अंधेरा, दुखा का घेरा, दिल तेरा घबरावै सै,
पाछै मुर्ख पछतावै सै, करणी का दण्ढ भरण लागे..!!३!!

दुख देरा, सबने न्यू बेरा, नही किसे का साथ,
नेम धर्म, और बुरे कर्म, देख रहा त्रिलोकी का नाथ,
मनजीत जोडकै हाथ, अपने गुरु के चरण लागे..!!४!!

रचनाकार:- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 946735454911

Language: Hindi
2 Likes · 494 Views
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