दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
बच्चे बड़े होते जा रहे हैं ....
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
गीत- बहुत गर्मी लिए रुत है...
तेरी आमद में पूरी जिंदगी तवाफ करु ।
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समस्याओं से भागना कायरता है