2383.पूर्णिका
2383.पूर्णिका
*जो सरकार डंडी मार गई *
22 212 22 22
जो सरकार डंडी मार गई ।
वो अगले चुनाव में हार गई ।।
जो हक है यहाँ देना होगा ।
जाने कब कहाँ मति मार गई ।।
जीवन है जहाँ जीते मरते।
कुछ तो नेकिया भी तार गई ।।
चमके भाग्य यूं अपने दम पर।
अपनी जिंदगी बलिहार गई ।।
साथी तोड़ते वादा खेदू ।
समझो ताजगी बहार गई ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
7-7-2023शुक्रवार