2377.पूर्णिका
2377.पूर्णिका
🌹पाकर तुम्हें यूं खोना नहीं चाहता🌹
2212 22 212 212
पाकर तुम्हें अब खोना नहीं चाहता ।
यूं जिंदगी भर रोना नहीं चाहता ।।
झेले बहुत दर्द हमने जहाँ रात दिन ।
चांदी यहाँ औ सोना नहीं चाहता ।।
सब रौशनी की ही बात करते हमें ।
कुछ बीज तम का बोना नहीं चाहता ।।
देती खुशी हरदम जिंदगी जिंदगी ।
गम भी तवा में पोना नहीं चाहता ।।
दुनिया नयी खेदू खूबसूरत रहे ।
बेजार वक्त का कोना नहीं चाहता ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
4-7-2023मंगलवार